Wednesday 1 August 2018

मुस्लिमो द्वारा हिंदुस्थान पर आक्रमण और प्रमुख घटनाये

मुस्लिमो  द्वारा हिंदुस्थान पर आक्रमण और  प्रमुख घटनाये:-

गजनवी ने गजनी से चलकर उसने प्रथम मथुरा व वृन्दावन के मन्दिरों की लूट की. इसके बाद कन्नोज पर आक्रमण करके मन्दिरों को लूटा. 1026 ई० में सोमनाथ मन्दिर पर आक्रमण किया गजनवी ने भारत पर 17  (सत्तरह) बार आक्रमण किया. मुहम्द गोरी का असली नाम ग्यासुद्दीन महमूद था. मुहम्द गोरी के आक्रमण के समय उत्तरी भारत में अनेक राजपूती राज्य थे. इनमें दिल्ली तथा अजमेर में "चौहान" कन्नौज में "गहबार' ', मालवा में " परिहार", गुजरात में 'सोलंकी”, बुन्देलखण्ड में "बुन्देले" तथा बिहार व बंगाल के 'सैन" तथा पाल" राजपूत मुख्य थे. मुहमद गोरी का पहला आक्रमण 1175 ई० में मुल्तान पर हुआ. कुछ समय के बाद उसने पेशावर भी जीत लिया. फिर उसने लाहौर के गजनी वंश को हटाकर पंजाब पर भी अपना अधिकार कर लिया। पंजाब को लेने के बाद इसका सीधा रास्ता आक्रमण करने का हो गया । वह वहाँ से दिल्ली तथा अजमेर को जीतने की योजना बनाता रहा. 1161 ई० में दिल्ली में पहला आक्रमण हुआ. यह युद्ध " थानेश्वर के पास ताराबाड़ी"  के मैदान में हुआ था. वह परास्त होकर वहां से भाग गया. 1194 में कन्नौज पर आक्रमण करके उसे अपने अधिकार में ले लिया लौटते समय अपने विख्यात सेनापति कुतुबुद्दीन ऐबक को सेनापति बनाकर बिठा दिया. जब १२०६ ई० में पंजाब के। गोरखरों ने ऊधम मचाया, तो फिर उसे भारत वापिस आना. पड़ा. गोरी के कोई पुत्र न होने के कारण उसे स्वयं ही शासक होकर बैठना पड़ा.

 1206 में जिस राज्य वंश की नींव डाली थी. वह 'गुलाम बंश" के नाम से प्रसिद्ध है । ग्यासुद्दीन की तरह कुतुबुद्दीन एक योग्य शासक था । कुतुबुद्दीन एक तुर्क जाति का था. गुलाम की परिभाषा खरीदा व्यक्ति है. 1301 ई० ये रणथम्भोर पर आक्रमण, 1303 ई० में चित्तोड़गढ़ पर आक्रमण, जिसमे राजपूतो ने अंतिम साँस तक लड़ने का वचन लेकर युद्ध करने उतरे और राजपूत महिलाओ ने अग्नि कुण्ड में उतर कर जोहर किया. अलाउद्दीन खिलजी एक ऐसा शासक था. जिसने मूल्य स्थिर करके भाव निश्चित किये थे. अलाउद्दीन भी ऐसा सफल शासक था जिसने पूरे भारत में दिल्ली सहित अधिकांश क्षेत्र अपने अधिकार करने में सफल रहा. उसकी मर्त्यु 1325 ई० को हुई थी. 1325 से 1351 ई० तक मुहमद बिनकासिम का शासन रहा और उसी के जमाने में तबे के सिक्कों का प्रचलन हुआ. 1351 से 1381 ई० तक फिरोज तुगलक का शासन रहा. फिरोज तुगलक ऐसा शासक था. जिसने ब्राह्मणों पर जजिया टैक्स लगाया था. 1361 ई० में तेमूर वंश का आक्रमण. उसकी धन लूटने की इच्छा थी. धन लूटकर वापिस समरकन्द चला गया. 1413 ई० में उसके शासन का अन्त हो गया. 1414 ई० में सैयद व लोधी वंश शासक रहे. 1451 ई० में बहलोल लोधी शासक था जो कि अफगानिस्तान का निवासी था. 1478 ई० में सिकन्दर लोधी का शासन रहा. वह बड़ा ही कठोर शासक था। उसने हिन्दुओं के पूजा-पाठ पर रोक लगा दी थी. 1504 ई० में आगरा शहर बसाया था. 1517 में इब्राहीम लोधी शासक रहा. पंजाब के शासक दौलतखां लोधी ने काबुल के बादशाह बाबर को भारत पर आक्रमण करने को बुलाया था. 1526 से 1530 ई० तक पानीपत के मैदान में पराजय और उसकी मृत्यु हुई . बाबर तुर्क खानदान का था. परन्तु उसके पिता तैमूर व माता चंगेज खानदान की थी. इस कारण उसे मुगल खानदान की संज्ञा मिली थी. 1530 से 1556 ईo तक शेरशाहसूरी व हुमायूं का शासन रहा.

1566 से 1605 ई० तक अकबर का पानीपत युद्ध. 1556 में चित्तौड़ पर अधिकार 1572 ई० में उदयसिंह की मृत्यु ,मेवाड़ में राणा प्रतापसिंह का शासना रूढ़ होना. आमेर के राजा मानसिंह को साथ लेकर मेवाड़ पर आक्रमण, वीरता के साथ हार होना निश्चित मान कर "झाला" नाम के सरदार को सेना का भार सौंपकर अरावली के जंगलों में की और नई रणनीति बनाने के लिए निकल जाना. 1601 से 1627 ई० तक जहांगीर का शासन रहा. जहगीर का नाम सलीमखां भी था. जहांगीर के पुत्र खुसरो का विद्रोह गुरु अर्जुन से हुआ. उसी अपराध में उनको दीवार में जीवित चुनवा दिया सिक्ख अनुयाइयों की यही खास जलन थी. जहांगीर के पुत्र महाराणा प्रताप के पुत्र अभयसिंह को सन्धि करने के लिए मजबूर किया था. इस विजय के उपलक्ष में "शाहजहाँ" की उपाधि मिली थी. 1620 ई० में मुगल सेना ने पंजाब के प्रसिद्ध किले कांगड़ा पर अधिकार कर लिया था। नूरजहा का बचपन का नाम मेहरुनिसा था. उसका विवाह ईरान के सरदार शेर अफगन के साथ हुआ था. इसके बाद मेहरुनिसा की सुन्दरता की तारीफ सुनकर जहगीर ने विवाह कर लिया. यहीं से उसका नाम नूरजहाँ हो गया. 1627 ई० को उसकी मृत्यु हो गयी. उसकी प्रसिद्ध पुस्तक तुनुक जहाँगीर है.

1628 से 1858 ई० तक के शासनकाल में पुर्तगाल व्यापारियों का भारत में आगमन और ईसाई धर्म का प्रचार हुआ. शाहजह को 8 वर्ष की कैद और शाहजहां की मृत्यु हुई. शासन के लिए भाइयों में युद्ध. 1658 से 1707 तक औरंगजेब का शासन, मन्दिर तोड़ना, मुसलमान बनाना तथा जजिया टैक्स लगाना इत्यादि. 1666 ई० में जाटों द्वारा विद्रोह, दिल्ली की भरतपुर नरेश सूरजभान द्वारा लूट, 1675 में तेज बहादुर का वध, ओरंगजेब की नीति से असंतुष्ट राजपूतों का विरोधी बनना. 1676 ई० में ' राजा जसवन्तसिंह की मृत्यु के उपरान्त मेवाड़ को राज्य में मिलाना चाहा. राजा छत्रसाल द्वारा लड़ाई उसी समय उनको ‘वीर शिवाजी जैसा' नेता मिल जाना. 1680 में लड़ते लड़ते उनकी मृत्यु हुई, 1689 में शिवाजी के पुत्र 'सम्भाजी' का क्रूरता पूर्वक वध कर देना, 1700 में सम्भाजी के पुत्र साहू को बन्दी बनाकर उसका भी वध कर देना. शिवाजी के दूसरे पुत्र राजाराम के नेतृत्व में युद्ध चलता रहा. 1700 में उसकी मृत्यु हो हुई. उसकी रानी 'तारावती' द्वारा यवनों से युद्ध अब यहीं से मराठे व मुगलों का संघर्ष होना शुरू हुआ. मुगलों की शक्ति क्षीण होती गई और मराठो की ताकत बढ़ती गयी, अन्त में बूढ़ा औरंगजेब लड़कर व कष्ट झेलकर मर गया. 1707 से 1712 तक बहादुर शाह का शासन रहा वह अयोग्य शासक था और सफल नहीं हुआ. 1713 में फरुखशियर की गद्दी. 1739 में नादिर शाह के द्वारा दिल्ली पर आक्रमण हुआ, कनली के मैदान में मुगलों का हराना पहले 50 लाख रुपया देकर वापिस करना चाहा, लेकिन वह अधिक धन के लालच में दिल्ली में आ गया, जिससे यह दंगा हो गया. यह उसकी नाराजी का कारण बन गया. उसने ऐसी हालत देखकर सेना को कत्लेआम करने का हुक्म दे दिया, नागरिकों को मार मारकर हीरे, जवाहरात, सोना व तख्त , हाथी, घोड़ा व सम्राटों की सैकड़ों वर्ष की सम्पत्ति 57 दिन लूटने के बाद स्वदेश वापिस चला गया.

1761 में पानीपत के मैदान में यवनों व मराठों में युद्ध 1544 में अंग्रेजी रेजीमेंट का भारत में आगमन आगमन हुआ.
Muslim Rajput kaal

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