गहलौट उर्फ गहलौत Rajput history:-
इस वंश की उत्पत्ति के बारे में थोड़ा-सा परिचय पिछले अध्याय में जहाँ गोह वंश की उत्पत्ति लिखी है,में पहले ही लिख चुका हु कि गोह गहलौट या गहलौत क्या हैं ? इसी मे गहलौत शब्द प्रसिद्ध हुआ है, जिसका कि विस्तार आगे जाकर सिसोदिया हुआ है ।इस वंश से आगे जाकर जो शाखा व प्रशाखा हुई हैं, वह निम्न हैं ।
सिसौदिया वंश का विशेष वर्णन:-
सिसोदिया वंश में निम्नलित शाखायें प्रचलित हैं1. गुहिलौत 2. सिसोदिया 3. पीपाड़ा 4. मांग्लया 5. मगरोपा 6. अजबरया 7. केलवा 8. कुंपा 9. भीमल 10. घोरण्या 11. हुल 12. गोधा 13. अहाड़ा 14.नन्दोत 15. सोवा 16. आशायत 17. बोढ़ा 18. कोढ़ा 19. करा 20. भटेवरा 21. मुदौत 22. धालरया 23. कुछेल 24. दुसन्ध्या 25. कवेड़ा।
व्याख्या:-
1. गहलौतों की शाखा सिसोदिया है । यह पहले लाहौर में रहते थे। वहां से बाद में बल्लभीपुर गुजरात में आये । वहीं पर बहुत दिनों तक राज्य करते रहे । वहां का अन्तिम राजा सलावत या शिलादित्य था।
बल्लभीपुर नगर को बाद में मुसलमान लुटेरों ने तहस नहस कर दिया था। उसी के वंशज सिलावट कहलाये। राजा शिलादित्य को रानी पुष्पावती ( पिता चन्द्रावत परमार वंश से ) जो गर्भ से थी.अम्बिकादेवी के मन्दिर में पूजन करने गई थी। जब रास्ते में उसने सुना कि राज्य नष्ट हो गया है और शिलादित्य वीरगति को प्राप्त कर चुके हैं तो वह भागकर मलियागिरी की खोह में चली गई। उसके वहाँ पुत्र उत्पन्न हुआ। रानी ने अपनी एक सखी महंत की लड़की कलावती को इस लड़के को सौंपकर कहा कि मैं तो सती होती हु, तुम इस लड़के का पालन-पोषण करना और इसकी शादी किसी राजपूत लड़की से कराना । इसके बाद रानी सती हो गई गोह या खोह में जन्म लेने के कारण इस लड़के का नाम गुहा रखा जिससे गहलोत वंश प्रसिद्ध हुआ।
जेम्स टाड़ राजस्थान व क्षत्रिय दर्पण से।
2. महाराणा प्रतापसिह के छोटे भाई शक्तिसिंह से शक्तावत/सलखावत गोत्र की शाखा निकली है जिस का अपभ्रंश सिलावत माना जाता है ।नेपाल के इतिहास में सिलावट जाति के बारे में वर्णन है। और जैसलमेर के इतिहास में जातियों के वर्णन में सिलावट के बारे में लिखा है कि वहाँ पर ये जातियाँ आबाद हैं । इस गोत्र को नीचे लिखी उप-शाखाएँ (खाप) हैं।
1. दो गांव की सिलावट 2. कुतानी की 3. सकीतड़ा की 4. बशीरपुर की 5. पपर की 6. नाटोली की 7. लहटा की 8. कवारदे की 9. सेकी 10. रिठोड़ा की 11.उदय की। ये सभी उप शाखाएँ गांवों के नाम पर प्रचलित हैं.
मूलतः इनमें कोई भेद नहीं है।
नकतवाल सिसौदिया वंश प्रशाखा
व्याख्या- रावल अनूपसह के लड़के रावल नक्कमल हुए. उन के नाम पर ही नकतवाल गोत्र प्रचलित हुआ । इस गोत्र की निम्नलिखित उप शाखाएँ हैं.1.बाड़ी के नकतवाल, 2. मटोली के, 3. सवड़ी के, 4. मगाबल के, 5. सांधा के तथा (६) खड़वाल
ये सभी उस शाखाएँ गांवों के नाम पर प्रचलित हैं ।
चिडलिया - चन्द्रावत या चुंडावत सिसौदिया वंश प्रशाखा
व्याख्या:- सिसोदिया वश को एक मशहूर शाखा चन्द्रावत महाराणा मेवाड़ के खानदान से है जो चन्द्रसिंह के नाम से चली है । महाराणा लक्ष्मणसिंह के बेटे अरिसिह का दूसरा बेटा चन्द्रसिंह था. महाराणा चन्द्रसिंह को अत री' का परगना गुजर बसर के लिए दिया गया था। । उसकी सन्तान भोमिया(भिमिधर) लोगों के तौर पर वहां रही । आगे चलकर चन्द्रावत या चुण्डावत नाम से प्रसिद्ध हुई ।इस गोत्र की ये शाखाएँ (खाप) हैं।
1. चंग वारे के चिण्डालिया 2. छणला के 3. अणा जी के 4. अण के 5. चंगवाल के 6. दनौली के 7. जनौली के 8. पनाह के।
ये उपशाखायें भी गांव व ठिकानों के नाम से प्रचलित हुई हैं।
कुढ़ाया शुद्ध कोढ़ा सिसौदिया वंश प्रशाखा
व्याख्या:- ऊपर मेवाड़ में सिसोदिया की 25 उप शाखाओं में यह गोत्र में 18 पर है । बोलचाल में कोढ़ा से कुढ़ाग्राबन गया है । इस गोत्र की भी कई खाप हैं ।
1. नावली के कुढ़ाए 2. जावली के 3. उदई के 4. आस्टोली के 5. खंडार के 6. मोर के ।
खारवाल सिसौदिया वंश प्रशाखा
व्याख्या:- यह जाति विशेष रूप से राजस्थान में आबाद हैं । ने लोग खारी जमीन से नमक बनाया करते थे । खार (नमक) का काम करने से ‘खारवाल ' कहलाये । सन १८८५ ई० में जब अंग्रेजी सरकार द्वारा नमक एक्ट लागू कर दिया तब यह लोग नमक का धन्धा छोड़कर खेतीबाड़ी का काम करने लगे वस्तुत: ये राजपूत हैं । मेवाड़ में मुसलमान बादशाहों द्वारा आक्रमण करने पर तथा इन लोगों की पराजय होने पर देश छोड़कर तथा वेश बदलकर अपने को छुपाकर अपनी रक्षा की और नमक बनाने वाले लोगों के साथ मिलकर जीवन निर्वाह किया । अकाल दुभिक्षा के कारण राजस्थान में सन १९६१ ई० में हाकार मच गया। उसी कारण ये लोग दूसरे इलाकों में जा बसे। गहलोत राजपूतों के मेवाड़ में राज्य का विस्तार करने के पहले वहाँ जो ब्राह्मण रहते थे, उनमें विधवा विवाह की प्रथा पाई जाती थी । वे उस स्थान के रहने वाले प्राचीन राजपूतों के वंशज थे और उन दिनों में उनको राजस्थान में भूमिया कहा जाता था। पुराने काव्य-ग्रन्थों में चिनानी, खारवार, उत्तायन और दया इत्यादि नामक जातियो का उल्लेख पाया जाता है । उनका सम्बन्ध उन्हीं लोगों के साथ था।
(टांड राजस्थान पृष्ठ ८६५ से)
घटरिया सिसौदिया वंश प्रशाखा
ध्याख्पा-मेवाड़ राज्य में कुम्भलगढ़ एक जिला है । वहाँ पर कुम्भलगढ़ एक प्रसिद्ध किला है, जो चितौड़गढ़ से दूसरे दर्जे पर है । यह किला महाराणा कुम्भा ने बनवाया था । इस किले के अन्दर एक छोटा विला और है जिसे कटारगढ़ कहते हैं। यह किला बड़े किले के अन्दर पहाड़ की चोटी पर बना है । यहाँ पर महाराणा उदय सिंह की महारानी झालीवाई का महल है । कई देवी देवताओं की प्रतियां भी हैं, यह किला ई० १४४८ से १४५८ तक बना था। इस किले में पहले शहर आबाद था जो अब बिल्कुल विरान हो गया है। इसी किले से निकले हुए राजपूत कटारिया प्रसिद्ध हुए। इस गोत्र की नीचे लिखी उप शाखायें हैं ।1.ऐती के कटारिया, 2.नेवरिया के, 3. बुढ़ाला के, 4. पोपला के, 5. फुल के , 6. छनेटी के, 7.पडाती , 8. मलIरि
के, 9. सुमेह के ये सभी खापें गांवों के नाम पर पड़ गई हैं।
भैसोड़िया शुद्ध मैतौड़िया सिसौदिया वंश प्रशाखा
व्याख्या:- भेसोड़िया मेवाड़ की एक जागीर है । रावल सिसोदिया रघुनाथसिंह चूंडावत थे। वहीं के निवास वालों को भैसरोड़िया कहने लगे । अशुद्ध रूप से मैं सोड़िया प्रचलित हो गया है । इस गोत्र की कोई उपशाखा नहीं है ।नगहबाल सिसौदिया वंश प्रशाखा
इस गोत्र की ये उप शाखायें हैं.1. अन्है के नहवाल, 2. समेह के, 3. करवा के, (४) खकेवा के, (५) सखा के
तथा खरह के, ये सभी शाखायें गांवों के नाम पर पड़ी हैं।
मंडार सिसौदिया वंश प्रशाखा
व्याख्या:- मण्डौर के निवास के कारण 'मंडार" शब्द प्रचलित हुआ है ।इस गोत्र की तीन खाप हैं – 1. बारह के मंडार, 2. धनेरे के, 3. भनेरे के ये भी गांवों के नाम पर प्रचलित हुई हैं ।
नन्दनिया शुद्द नादोत सिसौदिया वंश प्रशाखा
व्याख्या:- सिसोदिया की २५ शाखाओं में से १४वें नम्बर पर नांदोत गोत्र है, उसी का अपभ्रंश नन्दनिया है ।सोवड़िया शुद्ध सोवा सिसौदिया वंश प्रशाखा
व्याख्या:- ऊपर लिखी शाखाओं में १५वे नम्बर पर सोवा लिखा है । सोवा का अपनेॉश सोवड़िया या सेड़िया हो
गया है । इ ,अतिरिक्त आगे लिखे गोत्र भी हैं, जिनकी कोई खांप नहीं है।
1. बन्दवाड़, 2. समरवाड़, 3. बतानिया, 4. समोत्या, 5. मथाणिया, 6. ससोनिया, 7. कंडीग, 8. रावड़या, 9. कड़ियल 10. मुढ़ाल 11. पानोरिया, 12. जणनले 13. कांडा, 14. नाटा, 15. नागड़या, 16. वेडुण्या, 17.तंबर 18. लखेरिया।
ऊपर जो गोत्र मैने लिखे है, वह मेरी इकट्ठी की हुई जानकारी के अनुसार हैं। हो सकता है कुछ अन्य गोत्र भी हों। जिस भाई को यदि कुछ और जानकारी हो तो हम से सम्पर्क करें ।
नोट-इनकी २४ शाखायें तथा अनेक प्रशाखा हैं। जिनका विवरण नहीं लिखा गया है। शाखा प्रसिद्ध पुरुष या स्थान के नाम से होती हैं । शाखा तथा प्रशाखाओं के गोत्र कहीं कहीं इस प्रकार हैं । जेसे वेजपायण प्रवर ३, कक्ष, भुज,मेघ और कहीं-कहीं कश्यप है ।
शाखा स्थान
1. अहाड़िया हूंगरपुर
2. मगलिया। मरुभूमि रेगिस्तान
3. सीसोदिया मेवाड़ में
4. पीपाड़ा मारवाड़ में
5. चन्द्रावत रामपुर राव में
6. गोरखा नेपाल में (मालोजो के वंशज)
7. लुसावा
8. कृष्णावत दुर्गावत में
9. चूड़ावत चित्तौड़ में (राणा लाखाजी के वंशज)
10. जगावत 'पतोजी' का इसी वंश में जन्म हुआ ।
11. सांगावत देवगढ़ में (कट्टर ठिकाना)
12. क्षेमावत राणा मोकलजी प्रतापगढ़ में
13. सहावत सुह के धमोधर देवल को खांग में
14. जगमलोत जगमल के जासपुर में
15. कान्हावत कान्हा जी (अमरगढ़)
16. शक्तावत शक्तिसिंह के भिण्डर आदि ठिकाना
17. राणावत भीमसिंह रण- अजोर के पास टोडा का राजा
18. राणावत सूरज मल के शाहपुरा के राजाधिरज
19. राणावत नाथजी के (गोलाबास में)
20. राणावत संग्राम सीहोत अर्जुन सिह के शिवस्त में जो फतेहसिंह जी K.C. I. उदयपुर १८८१ ई० से गद्दी पर विराजमान हैं ।
21. रुद्रोत : रुद्रसिंह के सिरोही के सैन ग्राम में
22. नगराजोत नगराज के मालवा से रोल ग्राम में
23. विरम देवोत वीरमदेव के खनवाड़ा मीरगढ़ और राबाद में
24. रणमलोत सिसौदिया कल्याणपुर, प्रतापगढ़ इत्यादि नगरों में।
इनके अलावा अन्य शाखायें हैं, जिनका अब कुछ पता नहीं चलता है और हैं भी तो न के बराबर हैं । केलम, घोर धरेनिया, जोदल , मगरारूह, भामेल,रामकोटक, कोटेच, सराह, पाहा, अधर, आदि सोवा, हजरूप,नादोरिया, नादहूत,कत चिरा, दोसूद, वघेवार, पुरुदत्त इत्यादि । गहलौत, सिसोदिया, पीपड़ा आदि राजपूत, राजपूताने में परि हार, राठोड़, कछवाया चौहान वगैरह की कन्या ले ते-देते हैं और आगरा, अलीगढ़, मथुरा आदि जगहों में कछवाया, सोलंकी, पंवार, चौहान, राठौड़ बड़ गूजर,कटहरिया, पुड़ीर सिकरवार वगैरह में लेते व देते हैं।
जय माताजी री हुकुम सिसोदिया वंश की एक उपशाखा और है हुकुम विशेष सीनगैलिया कहा जाता है यह अब नायक जाति का एक गोत्र है जो कि हकीकत में सिसोदिया वंश की उप शाखा का है
ReplyDeleteजी हुकूम
Deleteसही कहा है आपने महानुभाव
आपका आभार और अभिनन्दन हुकूम
किन्तु सिसोदिया शब्द नही होकर वह "शिशोदिया" है जो "शिश+दिया" अर्थात 'शिश/सर/मस्तक' का दान दिया,त्याग कर दिया,न्योछावर कर दिया इसीलिए ऐसा करने वाले स्वाभिमानी सूर्यवंशी गहलोत रजपुत क्षत्रिय वंशजों को शिशोदिया कहा जाता है और इनकी बहुलता पर इनके प्रथमांक राज्य को "शिशोदा" कहा गया है!!(राजधानी कुम्भलगढ/केलवाडा)
हा
Deleteहुकुम सिंगेलिया गोत्र के बारे में गूगल पर जानकारी दी जाए ताकि यह गोत्र विलुप्त होने से बच सके इस गोत्र के लोगों की संख्या अब गिने चुने ही रह गई है अगर इस गोत्र के बारे में किसी को भी कोई जानकारी लेनी है ठाकुर बीएस चौहान द्वारा लिखित एक पुस्तक है जिसका नाम है एक हकीकत उससे प्राप्त कर सकते हैं जय मां भवानी जय जय राजपूताना
ReplyDeleteमाननीय और सम्माननीय महोदय हुकूम
ReplyDeleteआपके द्वारा प्रेषित कि गयी उपर लिखीत जानकारी हेतु आपका व आपकी संकलन प्रकाशन एडिटिंग प्रिंटिंग टीम का बहुत-बहुत आभार और अभिनन्दन है !!
अब इसमें मुख्य कथन सिसोदिया शब्द के बारे मे यह है कि हुकूम -'सिसोदिया'-
कोई "शब्द/गौत्र/प्रवर/कुल या वंश" कभी नही था ,
वास्तविक इतिहास का यथासम्भव घटनाक्रम कालखंड के आधार पर संकलन करेंगे तो यह मूलरूप में -"शिशोदिया"- है जो "शिशोदा"(शिशोदा राजवंश राजधानी कुंभलगढ/केलवाड़ा) वर्तमान समय में एक आदर्श ग्राम है के निवासी होने से प्रचालन में है और इस 'वृहद/शक्तिशाली/गौरवमयी' ऐतिहासिक राज्य के अभ्युदय से लेकर युगों-युगों तक इसकी -"एकता-अखंडता-मज़बूती-प्रगाढ़ता"- बनाये रखने हेतु गहलोत क्षत्रिय रजपुत राजवंश के द्वारा समस्त टीम साथी सहयोगियों सहीत अपने पुरोधा/संस्थापक/आदिपुरूष/सूर्यवंशी कुलश्रेष्ठ महान कालजयी शासक/प्रशासक -"बप्पा"- बाप्पा रावल (राजा शिलादित्य-शिलवाहक के पौत्र एवं गुहादित्य के पुत्र) के समय से लेकर देशी राज्यों के समग्र -'अखंड-राजपुताना'- में विलय एवम् इसके पश्चात भी मेवाड़ टिम के रुप में अखंड राजपुताना ,अखंड भारत वर्ष हेतू 'बारम्बार-हर-बार'अपने -'शिश'- अर्थात 'सर/मस्तक' कटवाया,दान दिया,त्याग दिया,न्योछावर कर दिया,प्राणो का बलिदान दिया इसीलिए -"शिश+दिया"-शब्द बना और शिश देने वाले -"शिशोदिया"- कहलाये गये जो आज बहुतायत में हैं हुकूम!!
अब हमारा अनुरोध है कि कृपया भाषायी/शाब्दिक भूल सुधार करके सत्य/शुद्ध/प्रासंगिक शब्द का लेखन,अंकन,प्रकाशन करते हुए पुनः नये सिरे से इतिहास में सिसोदिया शब्द के स्थान पर "शिशोदिया" लिखा जावें!!(प्रमाण हेतु शिशोदिया "कुल/गौत्र/वंश" के माननीय -"रावजी/भाटजी/बढवाजी/चारणजी"- कि लिखित पोथीयां,पांडुलिपियां,तथा संबंधित कालखंड की प्रचलित लोकोक्तियां,लोकगीत,लोकनृत्य,केहणावट,लोक-कथाओं के 'संयुक्त व सर्वमान्य सामुहिक सार-सारांश' का उप्लब्धता के आधार पर निरीक्षण किया जा सकता है!)
✍आपका
□कुँवर हरीसिहँ शिशोदिया-
शिशोदा,मेवाड़(अखंड राजपुताना)
लेखक,समीक्षक,विश्लेषक
सम्पर्क- 9680377030
वाट्सप- 9680759268
-'राष्ट्रीय महासचिव'-
अखिल भारतीय क्षत्रिय सेना
पंजीकृत राष्ट्रीय क्षत्रिय एवम् सामाजिक संघठन
-'अखंड भारतवर्ष'- हेतू सम्पूर्ण राष्ट्र में'संघठनात्मक रुप'से कार्यरत "राष्ट्रीय स्वयं सेवी सहायतार्थ संघठन" (नाॅन पोलिटिकल)
भाई आप सकित्रा कि सिलावट के बारे मे बताईये आपका बहुत आभार होगा हम सिसोदिया राजपूत है हमे अपने गोत्र के बारे में ज्यादा जानकारी नही है आप बताईये
Deleteभाई आप सकित्रा कि सिलावट के बारे मे बताईये आपका बहुत आभार होगा हम सिसोदिया राजपूत है हमे अपने गोत्र के बारे में ज्यादा जानकारी नही है आप बताईये
Deleteकृपया मौजावत वंश के बारे में जानकारी दो
Deleteमाननीय और सम्माननीय क्षत्रियत्व 'क्षत्रिय+तत्व'धारक एवं "क्षत्रियोचित गुण-कर्म से युक्त" स्वाभिमानी क्षत्रिय 'रज+पूत' महानुभाव,महोदय हुकूम
ReplyDeleteसभी महानुभावों से हमारा विशेष अनुरोध है कि कृपया "राष्ट्र-धर्म व कर्म तथा समाज(जिव-जगत/प्राणीमात्र)की
रक्षार्थ,नि:स्वार्थ भाव से नोन पोलिटिकली" हमसे व पूर्णतया क्षत्रिय एवम् सामाजिक संघठन
🚩अखिल भारतीय क्षत्रिय सेना🚩
से तन,मन,वचन,धन,कर्म से पुर्ण सक्रियता पुर्वक संघठनात्मक रुप से जुड़ने हेतु हमें सम्पर्क कीजियेगा महोदय हुकूम!!
जय मां भवानी
जय श्री एकलिंगनाथाय नमः
भाई सा बहरेलिया शिशोदिया राजपूत भी है जो शिशोदिया वंशज है 1540ई से 1550 के बिच ब्रहम सिंह और बलराम सिंह सेनापति थे जो शिशोदिया वंशज के थे उनको युध्द मै कन्नौज मै भेजा गया था और उनकी वहा विजय हुयी थी उसके बाद उनको आज्ञा मिली की उत्तर प्रदेश के सूरजपुर बहरेला बाराबंकी के पठान मालगुजारी नही दे रहे थे तो इस वजह से उनको सूरजपुर बहरेला मालगुजारी लेने भेजा गया और वहा के पठानो ने मालगुजारी देने को मना कर दिया तो उनको पठानो से युध्द करना पढा उस युध्द मै बलराम सिंह और ब्रहम सिंह की विजय हुई और उनको सूरजपुर बहरेला का राजा बनाया गया और उनका सूरजपुर बहरेला मै राज्य करने से उनको बहरेलिया की उपाधि मिली
Deleteइनका गौत्र भारद्वाज है और इनका वंश बैस की गोद शिशोदिया है मुल वंश सूर्यवंश है भाई सा इनको कई लोग क्षत्रिय नही मानते इसलिये आप से विनती है इनका इतिहास बताए और इनका नाम हर जगह लिया जाये
जय माता दी की हुकुम हम डुलावत सिसौदिया का ठिकाना विरम सिंह जी ने दौवड़गढ़ बसाया था वो अभी वर्तमान में राजस्थान के अंदर कहां पर है।
Deleteकृपा करके बताइए हुकुम।
जय माता दी।
Khangar Vance bhi to hai
ReplyDeleteAhadiya vansh ka varnan vistar se kare, U. P me yah vansh aheriya Apni vastvikta kho kr sc me shamil hai.
ReplyDeleteखम्मा घणी सा,
ReplyDeleteहुकुम से निवेदन है कि सारंगखेड़ा (महाराष्ट्र) के रावल राजपूतों के बारे में कुछ बताये ।
जय माँ भवानी
हुकुम मेवाड़ के आमेट ठिकाणे के कृष्णावतो के बारे में कुछ बताये
ReplyDeleteAmet thikana (rajsamand) me jaggawat chudawat he krishnawat salumber thikhane se he
DeleteGood information.
ReplyDeleteसिंगोलिया राजपूत हमारे यहां भी बहुत है 9754728344
ReplyDeleteHkm mujeh ranawat sisodiya gotra ki jankari chahiye
ReplyDeleteGahelot Sishodiya vansh ki sakha me goda rajput bhi he unke bare me kuch bata ye sa
ReplyDeleteGehlot Shishodiya vansh me goda rajput bhi he unke bare me kuch jankari de sa
ReplyDeleteतहसील- मोहम्मदाबाद गोहना, मऊ, उत्तर प्रदेश में करीब 24 गांव सिसोदिया क्षत्रियों के है क्या उनके मेवाड़ से लिंक के बारे में कोई जानकारी मिल सकती है. धन्यवाद
ReplyDeleteहुकुम मध्य प्रदेश के देवास जिले मे खडगावत गोत्र
ReplyDelete( सिसोदिया वंश ) के बारे मे जानकारी दिरावे । 9829451571
Hokam khammaghani kelwa sisodiya shakha ke bare me bataye.......
ReplyDeleteमहान प्रतापी सम्राट बप्पा रावल जी के द्वितीय पुत्र कॉलो जी एक पुत्र के वंशज केलवा कहलाये ओर दूसरे पुत्र के किलोदीया कहलाये
Deleteबहरेलिया सिसोदिया राजपूत भी है जो बाराबंकी सूरजपुर बहरेला मै निवास करते है plzzz उन्के बारे मै भी जानकारी दे
ReplyDeleteहुकुम चरेड(चिराड) के वारे भी बताये ।
ReplyDeleteबहरेलिया सिसोदिया राजपूत भी है
ReplyDeleteजो उत्तर प्रदेश सूरजपुर बहरेला बाराबंकी मै निवास करने से बहरेलिया कहलाये
गौत्र भारद्वाज वंश बैस की गोद सिसोदिया
मुल वंश सूर्यवंश
Deleteजो सिसोदिया हाथरस अलीगढ़ (उत्तर प्रदेश)में आए हे उनकी क्या history h
ReplyDeleteBhai ji aap sb se nivedan h shishodia ki ak sakha bahreliya h gotra bharatdwaj h kripya eska bhi shishodia rajput sakha me ullekh kiya jaye
ReplyDeleteBilkul sahi kaha aapne baheliya rajput hote hai
DeleteBaheliya नही bahreliya rajput होते है हुक्म
Deleteश्री मान जी मै राहुल सिंह राणा (शिसोदिया राणा) गोत्र विजय पान,चिन्ह नीलकंठ, इस समय हम लोग प्रयागराज उत्तर प्रदेश में रह रहे है हमारे पूर्वज बताते आए है 400 वर्ष पूर्व हम उदयपुर से यहां आए थे और राणा प्रताप और उदय सिंह शिसोदिया राणा है इस पर आप प्रकाश डालें
ReplyDeleteRahul Singh Rana no no 9794842025
ReplyDeleteजय माता दी सा हुकम ये सोंधीया सिसोदिया गहलोत है ये कोन है ये अपने आप को सोंधिया राजपूत बोलते हैं
ReplyDeleteजय माता जी की हुकम आपने बहुत ही अच्छी जानकारी दी है
ReplyDeleteMaa bayan ke sraap se mukti ka upaay batao hukum ::!!!! ;;;
ReplyDeleteSabhi rajput dukhi he
Is sraap se mukt hone ke baad sab dukh dur honge hukum
कौनसा श्राप दिया मां ने। हमे भी बताईये ।ताकि हमे भी जानकारी मिले ।
Deleteमुहणोत नैणसी ने गुहिलोतों की जो 24 शाखा बताई है उसमें 12 वें नम्बर पर गोदारा शाखा का नाम मिलता है । गोदारों की एक शाखा भी सिसोदिया गोदारा कहलाती है। रावों की बही में भी गोदारों का निकास गुहिलोत वंश से बताया गया है गोदारा गुहिलोत रो गढ़ चित्तौड़ निकास। इस सम्बंध में पुरी जानकारी उपलब्ध करवाएं।
ReplyDeleteकृपया करके हाथरस के सुल्तानपुर में भी सिसौदिया राजपूत रहते है क्या इसकी सही व सटीक जानकारी प्रदान करें। जल्दी से जल्दी उत्तर देने का प्रयास करें।🙏
ReplyDeleteजय माता जी की हुक्म । मैं सैनिक क्षत्रिय समाज से हुं। मेरा गौत्र गहलोत ,शाखा कुचेरा हैं । हमारे पुर्वज तराईन के द्वितीय युद्ध में हार जाने एवं शहाबुद्दीन गौरी की कैद से छुट जाने के बाद राजपुत से माली बन गये । जिन्हें आगे चलकर जोधपुर दरबार महाराजा जसवंत सिंह जी ने सैनिक क्षत्रिय समाज उपनाम दिया। सैनिक क्षत्रिय समाज के कुचेरा गहलोत मे जन्मे राव हेमा गहलोत ने मंडोर को तुर्को से आजाद कराने मे महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जो कि ईन्दा पडिहारो के प्रधान थे । हमारे सैनिक क्षत्रिय समाज में गहलोत ( शाखा - कुचेरा, पीपाडा, सिसोदिया ( बाद में सैनिक क्षत्रिय मे मिले) हैं । और जानकारी चाहिए तो आप मुझसे संपर्क कर सकते हैं 7737497809
ReplyDeletefacebook ya instagram id dijiye apni
Deleteकौशिक गोत्रीय कुम्भी बैस और कुम्भी बैस वंशीय लोगों की कुल देवी बन्दी मइया के बारे में कोई जानकारी है तो जरूर साझा करें।
ReplyDeleteWhatsApp No +91 9798905082
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Hkm tavana sisodiya shakha ke bare me batae jo jalore me hai
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