Wednesday 4 July 2018

राजपूत वंशावली और राजपूत इतिहास भाग -3 ( Rajput vanshavali or Rajput history )

Rajput vanshavali or Rajput history:-

सूर्य  दक्ष कन्या सवर्णों से आधिदेव (वेश्वत मनु) और यमराज, यमुना कन्या , सवर्णा सूर्य का ताप सहन न करने के कारण कुरूषेत्र जाकर घोड़ रूप से ताप करने लगी . यहाँ छाया की स्त्री
संज्ञा बनाकर छोड़ गयी उसके सावर्णी मनु और शनि प्रकट हुये. पुनः सूर्य ने घोड़े का रूप लेकर उस से सम्भोग किया उससे दोनों अस्वविनी कुमार उत्पंन हुये.
भृगु के जमदग्नि और शुक्र के संडामार्क,  संडामार्क परशुराम हुये.

6 - वेश्वत मनु के-पुत्र होने से यज्ञ किया तो रानी की इच्छा से पुत्री उत्पन्न हुई उसका नाम इला रखा । राजा द्वारा ऋषियों से प्रार्थना करने पर इछा को पुरुष बना दिया और सुधुम्न नाम रखा । यह इला व्रत जाने पर फिर स्त्री हो या ( वहां शंकर का श्राप था) वहां भ्रमते २ बुध से समागम होने पर इला के गर्भ से पुरूरबा का जन्म हुवा जिससे चन्द्र वंश चला । सुधुम्न ने शिव को प्रसन्न कर के एक मास की एक मास पुरुष रहने का वरदान पाया।
राजा मनु के 6 पुत्र और ये ।
1 सुधुम्न 2 बेणा 3 घष्णा से धारिष्ट ) 4 नारिष्यंत से( सुमंत वंश ) 5 नरभाग से (नभग बंशी) 6 इक्ष्वाकू से (राजस्थान के सूर्यवंशी) 7 कारूष से (कारुष) 8 सर्याती से (सरयात) 4 प्रषघ्र, यह गोहत्या से अहीर हुये, नभागरिष्ट से (नाभगरिष्ट वंशी इस प्रकार 10 पुत्र सूर्य वंशी कहलाये (श्री मदभागवत)

7 - इश्वांकू जिसने ने अयोध्या नगरी बसाई-

8  विक्रति                          
9 पुरंजय (काकुरथ)          
10 अनेना                            
11 प्रथू                                    
12 विश्वरंधि                            
13 चन्द्र                                                                                
14 युवनास्व                              
15 सावस्थ                                
16 वर्ह दश्व                                        
17 कुवलियाशत्र                        
18 द्ढास्व
19 हर्यास्व
20 निकुम्भ से निकुम्भ वंशी क्षत्रिय
21 व्रह णा स्व
22 ---/--
23 सन जित
24 यवनास्व
25 मानधाता के तीन पुत्र 1 अम्बरीय 2 मुच कंद जिसने नेमि को भस्म किया
26 पुरुकर्त्स
27 योवनास्व
28 हारीत
29 त्र सदस्य
30 अन्यरन्य
31 हरियस्व
32 अरुणा
33 निबन्ध
34 त्रिशंकु
35 हरिश्चन्द्र
36 रोहितास
37 हारीत
38 चंप
39 सुदेव
40 विजय
41 भरुक
42 वक्र
43 बाहुक
44 सगर के 30 हजार पुत्र हुए ये कपिल मुनि की दृष्टि से भस्म हुए
45 असमंज स
46 अंशुमान
47 दिलीप
48 भागीरथ ( जो गंगा को पृथ्वि पर लाया )
49 श्रुत
50 नाभ
51 अपर
52 सिन्धु दिप
53 अयुतायु
54 रितुपर्णा
55 सर्वकाम
56 सुदास
57 सदास
58 अश्मक
59
60
61 ऐ ड वड
62 विश्व सह
63 खदाग्र
64 ढिर्घबाहु
65 दलीप द्वितीय
66 रघु से रघुवंशी
67 अज

Rajput vanshavali:-

68 दशरथ द्वितीय 4 पुत्र उत्पन हुये 1 भगवन रामचन्द्र 2 लक्षमण 3 भरत 4 शत्रुघ्न
69 श्री रामचन्द्र के 2 पुत्र उतपन्न हुए । 1 लव 2 कुश लव से बड़ गुजर और राठौड़ कुश से कछवाहा और गहलोत ( बाल रामायण)
70 लव के दो पुत्र उतंपन्न हुए 1 रायकुमार से बड़गुजर शिवकुमार से राठौड़
71 शिवकुमार
72 सिंधुतास
73 सनजीत
74 यौवनाश्व
के पुत्र न होने के कारण उसने यज्ञ किया इसमें मंत्रित जल कलश रानी को पिलाने के लिए रखा रात्रि में राजा ने प्यास के मारे उसको पि लिया जिससे राजा का गर्भ स्थित हो गया तब ऋषि मुनियों ने पीठ चिर कर उस बालक को निकाला। इंद्र ने अँगुष्ट में अमृत धर दिया और मान्धाता ने आकर कहा कि में पालन करूँगा ( स्कन्ध पुराण से)

दोहा
सूरज बस नृप, एवं पुत्र बल बंड
मानधाताजु गद्दीते, आं फिरे चहु खंड

श्लोक
वंशार्क मानधातस्य जमयू दीपा रघुकुला
                 वंश षष्ट तीस मध्ये क्षत्राणी कुल दिपकम

                

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