Thursday 12 July 2018

पंवार, प्रमार, परमार राजपूतो का इतिहास और शाखाये ( Panvar Rajput history & shakhaye )

Panvar ( पंवार ) rajput History:-

प्रमार:-      अग्निवंश ।
गोत्र:-         वशिष्ठ ।
प्रवर :-       वशिष्ठ,अनि, सांकेति ।
कुलदेवी:-   सिचायमाता, पश्चिम में दुर्गा काली देवी, राजपूताने में गजानन माता ।
वेद:-          अजुर्वेद।
शाखा:-      वाजसयेनी ।
सूत्र:-          पारस्कर ग्रह्य सूत्र । विजयदशमी को तलवार पूजन
निशान:-     पीला ।
नदी:-         नर्मदा ।
महादेव:-    महा कालेश्वर ।
वृक्षवट या कदम धर्म सकती है ।

देवराज इन्द्र ने नवीन दूब से एक पुतली बनाकर उसकी प्राण प्रतिष्ठा कर उसे प्रज्ज्वलित यज्ञकुण्ड में छोड़ दिया।
उसके पीछे संजीवनी मंत्र का पाठ करते ही उस कुण्ड से एक वीर पुरुष “मार मार’ शब्द करता हुआ बाहर निकला । उस वीर पुरुष का नाम ‘परमार' रखा गया और देवताों ने आवू धार तथा उज्जयनी देश शासन करने के लिए उन्हें दे दिया । अब तक कहावत चली आती है कि पृथ्वी परमारों की है । ऐसा विदित होता है कि उनकी राजधानी महेश्वरपुरी सबसे प्रथम थी। धारानगरी ओर माण्डू को उन्होंने बसाया था । इस वंश में भुवन विदित राजा भोज हुए, जिनकी कथा आज तक विद्वान लोग कहा करते हैं ।
इनकी रियासतें नरसिंहगढ़, राजगढ़,मालवा में धार,देवास, दक्षिण में सूथ, डुमराव पूर्वोत्तर भारत में बिजौलिया
का ठिकाना, मेवाड़ में उम राव है।

Panvar rajputo ki 35 shakhaye:-

1. उज्बेनियाँ-पवारों की शाखा डुमराव की रियासत है,कानपुर व उज्जैन के राजा सूरशाह की सन्तान माने जाते हैं।
2. भोजपुरिया-पवांर वश की शाखा है विहार प्रान्त के साहाबाद जिले में निवास करते हैं।
3. कुहुम। 4. मोनको। 5. उड़िया। 6. वकछाहा। . खरत-इनकी राजधानी केराड़ में है। 7. चारटे 8. मेपाती- मेवाड़ में बिजौलिया के वर्तमान जागीरदार हैं । 10. बलहार उत्तरीय मरुभूमि में निवासी हैं । 11. काबा-सौराष्ट देश में प्रसिद्ध है और अब सिरोही में पाये जाते हैं। 12. उम्गत मालवा प्रदेश में इस बंश के राजा प्रसिद्ध हैं। 13. रेहार । 14 सौराठिया । 15. हरेरा-यह मालवा के अन्तर्गत ग्रासिये में जागीरदार हैं । 15. चावड़ा। 16. सुगड़ा। 17. बरकोटा। 18. सम्पल । 20. कालपुसर । 21. काला मोह । 22. कोलहा। 23. पुसया । 24.  घुधदेवा। 25. धूता। 26. गंधवारया, उत्तरी बिहार भागलपुर जिले में अधिकांश हैं । 27. राड़ीक । 28. सोदा। 29.. सांकला-पूगल के जागीरदार मारवाड़ में हैं। 30. खैर। 31. उमता। 32. बेहील-चद्रावती के राजा थे। 33. मेदावत । 34. उमरा । 35. रिकुम्बा।

Panvar rajputo ki 35 up-shakhaye:-

अहवन, जालयउत, चद्रदतोत, भामा, उदियादतोत, पीलधवलोत, धवलोत, हुण, हमरोत, उपातलोत, यातलोत, सालउत, खड़िया, यालवार, गहसड़िया, सिंद्धून-कुरडंकवन, उलंगा, बावला, नरावत वाधा, आादुर, जनवती, रेहार, लेका, कुथेरिया, देवा, ढेकाहा-चावड़ा अथवा डोड़।
टिप्पणी:—जिन पवांर राजपूतों ने बुन्देलों के साथ विवाह सम्बन्ध कर लिया है उन्हें बुन्देला पवांर कहते हैं ।
प्रसार सैनिकों ने एक बार देवराज के साथ युद्ध करना प्रारम्भ किया था, उस समय प्रमार सैनिकों ने कहा था कि

जद पवांर तहें धार है, जहाँ धार वहाँ पवांर । 
धारक बिना पवांर नहीं, नहि पवांर विन धार ।।
अर्थात् जहाँ पर प्रमार रहते हैं धारा नगरी वहीं पर है ।
जहां प्रमार नहीं रहते धारा नगरी वहां नहीं है ।



No comments:

Post a Comment

Thanks For Your Feedback

Distribute By © Licensewale